।।श्री नन्दकुमाराष्टकम्।।
सुन्दर गोपालम् उर-वनमालं नयन विशालं दुःखहरम् ।
हृत मन्मथ मानं रूप निधानं कृतकलगानं चित्तहरम् ॥
वल्लभ मृदुहासं कुंज निवासं विविध विलास केलिकरम् ।
भज नन्द कुमार सब सुखसारं तत्व विचारं ब्रह्मपरम ॥५॥
अति परप्रवीणं पालित दीनं भक्ताधीनं कर्मकरम् ।
मोहनमतिधीरं फणिबल वीरं हत परवीरं तरल तरम् ॥
वल्लभ ब्रज रमणं वारिज वदनं हल धर शमनं शैल धरम् ।
भज नन्द कुमारं सब सुख सारं तत्व विचारं ब्रह्मपरम् ॥६॥
जलधर द्युति अंगम् ललित त्रिभंगं बहु कृत रंग रसिकवरम् ।
गोकुल परिवारं मदनाकारं कुंज विहारं गूढ़तरम ॥
वल्लभ व्रज चन्दम सुभग सुछन्दं कृत आनन्दं भ्रान्तिहरम् ।
भज नन्द कुमारं सब सुख सारं तत्व विचारं ब्रह्मपरम् ॥७॥
वन्दित युग चरणं पावन करणं जगत उद्धरणम् विमल धरम् ।
कालिय सिर गमनं कृत फणि नमनं घातित यमनं मृदुलतरम् ॥
वल्लभ दुख हरण निर्मल चरणं अशरण शरणं मुक्तिकरम् ।
भज नन्द कुमारं सब सुख सारं तत्व विचारं ब्रह्मपरम् ॥८॥
॥ श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य विरचितं श्री नन्दकुमाराष्टम् ॥