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महिषासुरमर्दिनि स्त्रोत ! अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
महिषासुरमर्दिनि स्त्रोत ! अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते महिषासुरमर्दिनि स्त्रोत अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते, गिरिवर-विध्य-शिरोऽधि-निवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठ-कुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि-भूरिकृते, जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१।। सुरवरवर्षिणि…