श्री जगन्नाथाष्टकम् जगन्नाथ पुरी का रहस्य जगन्नाथ मंदिर का रहस्य जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए

जगन्नाथ पुरी का रहस्य

श्री जगन्नाथाष्टकम् जगन्नाथ पुरी का रहस्य जगन्नाथ मंदिर का रहस्य जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए

मंदिर का रहस्य जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए|  जगन्नाथाष्टकम् एक प्रसिद्ध हिन्दू स्त्रोत है जो भगवान जगन्नाथ की स्तुति और महत्व को व्यक्त करता है । इस स्त्रोत के पठन से व्यक्ति को मानसिक शांति, आनंद और आत्मिक उन्नति की अनुभूति होती है । इसके अलावा, जगन्नाथाष्टकम् का पाठ ध्यान और समर्पण में मदद कर सकता है और व्यक्ति को संसारिक संघर्षों से निकलने में सहायक हो सकता है । धार्मिक दृष्टि से भी, इसका पाठ भगवान के आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है ।

 

श्री जगन्नाथाष्टकम् जगन्नाथ पुरी का रहस्य जगन्नाथ मंदिर का रहस्य जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए

जगन्नाथाष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति को अधिकतर लाभ मिलते हैं   

1. आध्यात्मिक उन्नति इस भजन के पाठ से व्यक्ति का आध्यात्मिक दृष्टिकोण मजबूत होता है और उसका मानसिक स्थिति सुधारता है ।

2. शांति और स्थिरता जगन्नाथाष्टकम् का पाठ करने से मन शांत होता है और व्यक्ति का अंतरंग शांतिपूर्ण होता है

3. कर्मयोग्यता यह भजन व्यक्ति को कर्मयोग्यता और समर्पण की भावना से युक्त करता है ।

 4. संगीत साधना जगन्नाथाष्टकम् का सुनना और गाना भक्ति और संगीत की साधना में मदद करता है ।

5. समाज में एकता इस भजन का सामूहिक गायन या पठन समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है ।     इन सभी लाभों के साथ, जगन्नाथाष्टकम् ध्यान, धार्मिकता, और आत्मिक उन्नति की दिशा में व्यक्ति को निरंतर मार्गदर्शन करता है ।

 श्री जगन्नाथाष्टकम्

कदाचित्कालिन्दी तटविपिनस गीतकरवो,   मुदाऽभीरीनारी वदनकमलाऽस्वादमधुपः ।   

रमाशं भुब्रह्मामरपति गणेशार्चितपदो,   जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे । १ ।     

भुजे सव्ये वेणु’ शिरसि शिखिपिच्छ कटितटे,   दुकूल नेत्रान्ते सहचर कटाक्ष विदधते ।   

सदा श्रीमदृन्दावन वसतिलीलापरिचयो,   जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे । २ ।    

 माहाम्भोधेस्तीरे कनकरूचिरे नीलशिखरे,   वसन प्रासादान्तः सहजबलभद्रेणबलिना ।   

सुभद्रा मध्यस्यः सकलसुरसेवाऽवसरदो,   जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे । ३ ।     

कथापरावारः सजलजलद श्रेणिरूचिरो,   रमावाणीरामः स्फुरदमलपद्येक्षणमुखः ।   

सुरेन्द्रैराराध्यः श्रुतिगणशिखागीतचरितो,   जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे । ४ ।     

रथारूढो गच्छनपथि मिलित भूदेवपटलैः,   स्तुर्ति प्रार्दुभाव प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः ।   

दयासिन्धुर्बन्धुः सकलजगता सिन्धुसुतया,   जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे । ५ ।     

पर ब्रह्मापीड्यः कुवलयदलोत्फुल्लनयनो,   निवासी नीलादौ निहितचरणोऽनन्तशिरसि ।   

रसानन्दोराधा सरसवपुरालिङ्गनसुखो,   जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे । ६ ।     

न वै प्रार्थराज्य न च कनक माणिक्य विभव,   न याचेऽह म्या निखिलजनकाम्या वरवधूम् ।   

सदा काले काले प्रमथपतिना गीतचरितो,   जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे । ७ ।    

 हर त्वं सं सारं द्रुततरमसारं सुरपते,   हर त्वं पापाना विततिमपरा यादवपते ।   

अहो दीनाऽनाथ निहित चरण निश्चितपद’,   जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे । ८ ।     

इति श्री जगन्नाथाष्टकम् सम्पूर्णम्-     

जगन्नाथ पुरी का रहस्य

जगन्नाथ पुरी के रहस्यों में एक प्रमुख रहस्य है मंदिर के उच्च सीमाओं तक पहुंचने के लिए केवल भारतीय लोगों को ही अधिकार होता है । विदेशी यात्री या अन्य धर्मों के व्यक्ति इस भव्य मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते । इसके अलावा, मंदिर में प्रतिदिन भोग चढ़ाया जाता है और वह भोग बाद में न तो किसी खाए जा सकता है और न ही इसे दान में दिया जा सकता है । इसे भगवान का प्रसाद माना जाता है और इसे’ महाप्रसाद’ कहा जाता है ।     जगन्नाथ पुरी के रहस्यों में एक और अद्भुत अंश है भगवान जगन्नाथ के मूर्तियों का निर्माण । इन मूर्तियों का निर्माण विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाता है और इस प्रक्रिया के विवरण केवल विशेष शिल्पकारों को ही पता होता है ।     इसके अतिरिक्त, जगन्नाथ पुरी के मंदिर में एक और रहस्य है जिसे’ निलाचल भेद’ कहा जाता है । यह कहा जाता है कि जब भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को परिवर्तन की आवश्यकता होती है, तो उनकी मूर्तियों को परिवर्तित किया जाता है, लेकिन यह प्रक्रिया भगवान के प्रसादी दल के द्वारा गुप्त रूप से की जाती है और सारी प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय रहती है ।     ये रहस्य जगन्नाथ पुरी के मंदिर को उनिक बनाते हैं और उसकी महिमा को और भी अधिक अनूठा बनाते हैं ।

 जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए

जगन्नाथ पुरी का दौरा करने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का होता है, जब मौसम शानदार रहता है और यात्रा का आनंद लिया जा सकता है । इस समय पर स्थल का मौसम सुहावना और उत्तेजक रहता है ।     विशेष रूप से रथ यात्रा के दिन( जो जून या जुलाई महीने में होता है) पर यहां की भक्ति और उत्साह का माहौल अद्वितीय होता है ।     जगन्नाथ पुरी के दर्शन करने के लिए, आपको मंदिर के प्राचीनतम उत्सवों, संस्कृति, और परंपराओं को भी जानना चाहिए ।     साथ ही, अच्छी तरह से योजित यात्रा, होटल और ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था के लिए आपको पहले ही अपनी यात्रा की तैयारियों को पूरा कर लेना चाहिए ।     जगन्नाथ मंदिर का रहस्य  जगन्नाथ मंदिर, भारत में ओडिशा के पुरी शहर में स्थित है, और यह हिंदू धर्म के एक प्रमुख तीर्थ स्थल है । इस मंदिर के कई रहस्य हैं जो इसे अद्वितीय बनाते हैं

1. ** नीलाचल पर्वत परिधि ** मंदिर का निर्माण नीलाचल पर्वत परिधि पर हुआ है, जो कि बहुत ही प्राचीन और महत्वपूर्ण माना जाता है । इस पर्वत पर अनेक पौराणिक कथाओं और रहस्यों का संबंध माना जाता है ।
2. ** मूर्तियों का निर्माण ** जगन्नाथ, सुबद्रा, और बलभद्र की मूर्तियों का निर्माण अनूठी प्रक्रिया के तहत होता है, जिसके बारे में केवल विशेष शिल्पकारों को ही ज्ञान होता है ।
3. ** दिव्य महाप्रसाद ** मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला भोग महाप्रसाद के रूप में जाना जाता है, जो अद्वितीय रसोई की पारंपरिक विधियों के तहत बनाया जाता है ।
4. ** निलाचल भेद ** यह एक और रहस्य है, जिसमें भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को परिवर्तन की आवश्यकता होती है, और उसे गोपनीय रूप से परिवर्तित किया जाता है । इस प्रक्रिया के बारे में ज्यादा जानकारी गोपनीय होती है ।   ये रहस्य जगन्नाथ मंदिर को अनूठा और प्रेरक बनाते हैं, और इसका सम्बंध भक्ति, संस्कृति, और धार्मिक विश्वासों के गहरे संबंध से है ।

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