लिरिक्स भजन तू न जागा आलसी सो रहा बन अभागा

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लिरिक्स भजन तू न जागा आलसी सो रहा बन अभागा

लिरिक्स भजन तू न जागा आलसी सो रहा बन अभागा

तू न जागा !

बेला अमृत गया आलसी सो रहा बन अभागा ।

साथी सारे जगे तू न जागा ॥

झोलियाँ भर रहे भाग्य वाले,

लाखों पतितों ने जीवन संभाले।

रंक राजा बने, भक्ति रस में पगे, कष्ट भागा ।

साथी० ॥

कर्म उत्तम से नर तन है पाया,

आलसी बन के हीरा गंवाया ।

हो गई उल्टी मति, करली अपनी ही क्षति,

विष में पागा। साथी० ॥

धर्म वेदों को देखा न भाला, बेला अमृत गया न संभाला ।

सौदा घाटे का कर हाथ माथे पै धर, रोने लागा ।

साथी० ॥

तू है व्यापक न मन में विचारा,

सिर से ऋषियों का ऋण न उतारा।

हंस का रूप था, गंदला पानी पिया, बन के कागा ।

साथी० ॥

सीख गुरु की अभी मानले तू,

निज को विज्ञान से जान ले तू ।

नाम ईश्वर का भज, देह अभिमान तज, हो विरागा । 

साथी० ॥

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