अंग अंग से पुलकित होकर श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र का हिन्दी रूपांतरण।
कनकधारा स्त्रोत्र पाठ विधि
एक चौकी पर लाल या पिले कपड़े पर माँ कनकधारा लक्ष्मी की बैठी हुयी प्रतिमा या फोटो लगाए, और साथ में एक कनकधारा यन्त्र स्थापित करें । रोजाना नियमित रूप से कनकधारा यंत्र के सामने धूप डीप करे और माता को अनार का प्रसाद अर्पण करें। और माता के सामने घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें । भगवती कनकधारा महालक्ष्मी स्त्रोत्र की रचना श्री शंकराचार्य जी ने की थी। उनके इस स्तुति से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी जी ने स्वर्ण के आँवलो की वर्षा कराई थी। इसलिए इसे कनकधारा स्त्रोत्र कहते है । अगर हमारी जनम पत्रिका में दरिद्र योग है । या जीवन में लक्ष्मी का अभाव जान पड़ता है । तो जरूर इसका प्रयोग करना चाहिए धन को आकृष्ट करने की अदभुद क्षमता है ।
अंग अंग से पुलकित होकर, स्वर्ण प्रदान करो माता।
मेरे शून्य सदन के अन्दर,स्थिर सुख शान्ति भरो
माता।
अलिका सी श्री हरि के मुख पर, मुग्ध हुई मंडराती हो,
तरु तमाल सी आभा पाकर, भरमाती शरमाती हो
लीलामयी दया की दृष्टि, मुझको दान करो माता ।
मेरे शून्य सदन के अन्दर,स्थिर सुख शान्ति भरो माता ।।१।।
देवाधिप को वैभव देती, दें आनन्द मुरारी को,
नीलकमल की सहोदरा माँ, सरसाती हर क्यारी को,
वही मधुर ममता की द्रष्टि , मुझे प्रदान करो माता।
मेरे ….2
कोटि काम छवि के अभिनेता,सदचित् आनन्द ईश मुकुन्द,
जिनके हृदय कमल में राजी,मना रही अतिशय आनन्द,
शेषशायिनी श्री हरि माया,मुझको धन्य करो माता।
मेरे …३.
मधुसूदन के वक्षस्थल पर,कौस्तुभ मणिका राज रही,
कमल वासिनी श्री की आभा,जिसके अन्दर साज रही,
नीलाभापति का मन हरती,मेरी विपति हरो माता।
मेरे …४.
जैसे श्याम घटा सुषमा में,विद्युत कान्ति चमकती है,
वैसे हरि के हृदय कमल में,माता ! आप दमकती है,
भार्गव नन्दिनि विश्व वन्दिनी,दिव्य प्रकाश भरो माता।
मेरे …५.
सिन्धुसुता श्री की सुन्दरता,मन्थरगति महिमा वाली,
मधुसूदन का मन हरती हैं,मंगल मुख गरिमा वाली,
स्नेहमयी दारिद्र हारिणी,दुख दारिद्र हरो माता।
मेरे …६.
श्री नारायण की प्रिय प्राणा,करूणा मयि करूणा कर दो,
मेरे पाप ताप सब मेटो,मेरा गृह सुख से भर दो,
मैं प्यासा हूँ जन्म जन्म का,शुभ जल वृष्टि करो माता।
मेरे …७.
पद्मासना पद्मजा पद्मा,बुध जन तुम्हें मनाते है,
तेरी अनुपम अनुकम्पा से,अनुपम साधन पाते हैं,
मेरी सब अभिलाषा पूरो, मम गृहवास करो माता।
शिव शक्ति बन प्रलय मचाती तीन रूप धारण करती
शाकम्भरी शारदा श्री माँ ज्ञान प्रदान करो माता।
मेरे। ….. 9
शुभ कमों का फल प्रदायिनी,दुष्कमों का करती अन्त
सहज कमल दल में निवासिनी,रमा शक्ति समृद्धि अनन्त
पुरुषोत्तम की प्राण वल्लभा,परम प्रकाश भरो माता।
मेरे शून्य सदन के अन्दर,स्थिर सुख शान्ति भरो माता …१०
क्षीर सिन्धु तनया शशि भगिनी,अमृत सहोदरा शुभ रुप,
नारायण की परम प्रेयसी,कमल मुखी सौम्या श्री रूप
बारम्बार प्रणाम आपको,मम दुर्भाग्य हरो माता।
मेरे….11
मातु आपकी सतत् बन्दना, करती सुख साम्राज्य प्रदान
पाप ताप सन्ताप मिटाती, देती सब साधन सम्मान
चरण बन्दना करूँ आपकी, शुभ सद्भक्ति भरो माता।
मेरे …१२.
जिनकी कृपा कटाक्ष मात्र से,पूर्ण मनोरथ होते हैं,
विपुल विभव सन्तति सुख मिलते,दुख दरिद्र सब खोते हैं।
तन मन वचन कर्म से सुमिरों,मन में हर्ष भरो माता।
मेरे …१३.
कमल कुन्ज कलिका निवासिनी,हरि पत्नी आनन्दमयी
श्वेताम्बरा गन्ध माला में,कमल कान्ति नित नवल नयी
त्रिभुवन को वैभव प्रदायिनी,मुझको मत विसरो माता।
मेरे …१४.
गगन जान्हवी नीर क्षीर से,जिनका हो अभिषेक सदा
उन्ही जगन्नायक की प्रणया,हो मुझपर मांगल्य मुदा
प्रणत प्रभात प्रणाम आपको,स्वीकारो मेरी माता।
मेरे … १५.
कमल नयन की प्राण बल्लभे,अग्रगण्य मैं दीन दुखी
मातु सहज करूणा की सागर,कर दो तत्क्षण मुझे सुखी
मुझ पर दया द्रष्टि बरसा कर,अभ्युत्थान करो माता ।
मेरे … १६.
लक्ष्मी के इस कनक स्त्रोत का,तीन काल जो पठन करें।
त्रिभुवन को सुख देने वाली,सुख से उनका सदन भरें
शुभ सौभाग्य सहन में देकर,विपति हरे माँ जल जाता।
मेरे …१७.
आद्य शंकराचार्य रचित यह,कनक स्त्रोत जो गाते हैं
माँ लक्ष्मी की अनुकम्पा से,सब सुख साधन पाते हैं
करती है कल्याण शीघ्र ही,त्रिभुवन की माँ सुखदाता।
मेरे… 18