प्रभाती भजन लिरिक्स।जागो सज्जन वृन्द हमारे

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प्रभाती भजन लिरिक्स।जागो सज्जन वृन्द हमारे

प्रभाती भजन लिरिक्स।जागो सज्जन वृन्द हमारे

जागो सज्जन-वृन्द हमारे । मोह निशा के सोवन हारे ॥

जागो जागो हुआ सवेरा, मोह निशा का उठ गया डेरा ।

ज्ञान भानु ने किया उजेरा, आशा दुखद अस्त भये तारे ।।

जागो..।॥१॥

सोते सोते जन्म गंवाया, देह गेह में मन भरमाया ।

तुमको चेत अभी नहिं आया, छोड़ो नींद उठो अब प्यारे ॥

जागो..॥२॥

यह घर बार जगत सब सपना, सुत दारा कोई नहिं अपना ।

मेरा तेरा छोड़ कल्पना, माया मोह तजो अब प्यारे

॥ जागो..॥३॥

धन दौलत सुत जगत झमेला, बिजली का सा है यह उजेला ।

संग में जावे एक न घेला, भूले किस पर हो तुम प्यारे ॥ 

जागो..॥४॥

काम क्रोध ने जीव खजाना, सोते पर लूटा मन माना ।

तुमने कुछ न अभी तक जाना, सोते मस्त पड़े मतवारे

॥ जागो.. ॥५॥

यह संसार रात्रि है भारी, सोती जिसमें दुनियाँ सारी ।

जगते संत कोई व्रत धारी, परमारथ पथ के उजियारे ॥

जागो..॥६॥

जग कर संत शरण में जाओ, जा कर राम नाम प्रिय गाओ ।

पूरण शान्ति हृदय में पाओ, मिट जावें भय संकट सारे ॥

जागो..॥७॥

जानो तभी कि अब हम जागे, जब मन विषयों से खुद भागे ।

पूरण चित्त राम में लागे, जिसको पाकर संत सुखारे ॥

जागो..॥८॥

सीता पति रघुपति रघुराई, माधव श्याम कृष्ण यदुराई ।

मोहन श्री गोविन्द सुखदाई, ‘मंजुल’ नाम जपो सुखकारे ॥ 

जागो..॥६॥

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