हरी हर एक हैं दोनो
हरी हर एक हैं दोनो ना ये कम है ना वो कम है,
ये रहते है हिमालय में वो रहते क्षीर सागर में,
ससुर घर दोनों रहते है, ना ये कम है न वो कम है.
ये पीते है भांग का प्याला, वो पीते है प्रेम रस प्याला,
नशे में दोनों रहते है, ना ये कम है न वो कम है.
उमा की बात ये माने, रमा की बात वो माने,
पिया से प्रेम करने में, ना ये कम है न वो कम है.
उन्हों ने सिंधु को डांटा, इन्होंने दक्ष सिर काटा,
ससुर अपमान करने में, ना ये कम है न वो कम है.
लगाते है ये भभूती वो चंदन लेप लगाते हैं ।
दोनों ही भजन में रमते है ना ये कम है ना वो कम है
उन्हों ने धार को काटा, इन्हों ने वित्विपर काटा,
जगत उपकार करने में, ना ये कम है न वो कम है.