गणेश शिखरिणी ध्यान स्तुति ( छंद ) – Ganesh Shikhrini Dhyaan Chand

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शिखरिणी ध्यान

गणेश शिखरिणी ध्यान स्तुति ( छंद ) - Ganesh Shikhrini Dhyaan Chand

 गणेश

जय गणनायक सिद्ध विनायक, मंगलदायक मोक्ष प्रदाता ॥

हो तुमही सबके सुखायक. कष्ट हरो हे भाग्य विधाता |

रिद्धि और सिद्धि के स्वामी तुमही हो, पिता शुभ लाभ के हो भव त्राता ।

छोड़ के गोद माँ गौरी की आओ तुम्हे आज तुम्हारा भक्त बुलाता ||

गौरी

शक्ति स्वरुपा सुमंगल कारिणी. काज सॅवारती हो सबके माँ 

होती कृपा जो तुम्हारे रहे माँ बने सब काज न देर लगें माँ 

सीता ने पूजा तुम्हारी किया तो प्रसन्न भयी वर राम मिले माँ

मेरी भी कामना पूर्ण करो मातु गौरी हमारा भी कष्ट हरो माँ

गणेश

गिरीगं गणेश गले नीलवर्णम। गजेन्द्राधि रुढ गुणा तीत रूपं

भवं भास्वरम भस्मना, भूषिताङ्ग। भवानी कलत्र भजे पंचवक्त्र ।।

गणेश

शुभं मंगलम कारकम नाग रूपं । तथा सर्व देवैः सदावंदनीयम् 

महाज्ञानिनम चैक दंतम दयालं। गणानां पतिं गं गणेशं नमामि ॥

गणेश

शिवाँ के क्रीडन्तम् परशु पट हस्तम करि मुखं

विनाशी विघ्नानाम सकल दुःख राशी सुख करम्. 

प्रकाशी विद्यानाम सकल सुखराशी सुख करम्. 

चरण वन्दौ स्वामी पुनि पुनि नमामी शिव युतम् ।।

गौरी

महान्तम् विस्वासं तव. चरण पंके रह युगे

निधायान्नैवा श्रित मिह मया देवत मुपे 

तथापि त्वच्चेतो मयि न जायते  सदयम 

निरालम्बो लम्बोदर जननि कं यानि शरणं 

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