देवी दुर्गा उमा विश्व जननी रमा मातु तारा लिरिक्स

देवी दुर्गा उमा विश्व जननी रमा मातु तारा 

देवी दुर्गा उमा विश्व जननी रमा मातु तारा 

देवी दुर्गे उमा, विश्व जननी रमा, मातु तारा, एक जगदम्बा तेरा सहारा! (२)

तू ही वैष्णवी मोह माया, तूने सारे जग को बनाया। 

चरण कमलों में माँ, रहता मस्तक नवा, यह हमारा।। 

एक जगदम्बा तेरा सहारा !

शैलजा स्कन्द माता भवानी, पार्वती भद्रकाली मृडाणी। 

सर्व बुद्धि प्रदे, अष्ट सिद्धि वर दे, त्रिपुरारा।। 

एक जगदम्बा तेरा सहारा !

पुण्यवानों के घर सम्पदा तू, पापियों के भवन आपदा तू। 

कुल की लज्जा तू ही. साधु श्रद्धा तू ही, गुण अपारा।। 

एक जगदम्बा तेरा सहारा !

जिनके मुंडन की गले मालिका हैं, सृञ्जति सञ्जति तालिका हैं।

रूप विकराली के, चण्डिके कालिके रुद्रतारा।।

एक जगदम्बा तेरा सहारा !

मन वचन दोनों ने हार खाई, तेरा माया नहीं पार पाई। 

क्या करें निर्वचन, वेद नेति कथन, करके हारा।। 

एक जगदम्बा तेरा सहारा !

हैं हज़ारों ही अपराध मेरा, हूँ अधम पातकी तो भी तेरा। 

दुष्ट होवे यदा, तो भी माँ को सदा, पुत्र प्यारा।।

एक जगदम्बा तेरा सहारा। 

तेरी ज्योति से उदज्योति दिवाकर, तव प्रभा से सुशोभित

सुधाकर। देवी सेवक पर हो, दया की नजर का इशारा।।

एक जगदम्बा तेरा सहारा !

देवी दुर्गे उमा, विश्व जननी रमा, मातु तारा, 

एक जगदम्बा तेरा सहारा ! 

देवी दुर्गा स्तुति एक प्रार्थना है जो मां दुर्गा को समर्पित की जाती है। यह स्तुति उनकी महत्ता, शक्ति, और कृपा का गुणगान करती है। यह प्रार्थना मां दुर्गा के शक्ति और प्रेम को अनुरागी भक्तों द्वारा व्यक्त करने का एक माध्यम है।
 दुर्गा देवी स्तुति के विभिन्न रूप हैं, जैसे कि “दुर्गा चालीसा”, “दुर्गा सप्तशती”, “दुर्गा स्तुति”, आदि। इनमें से प्रत्येक स्तुति अपने विशेषताओं और महत्वपूर्ण कथाओं के साथ आती है।
जब भी कोई व्यक्ति दुर्गा देवी की स्तुति करता है, वह उनकी शक्ति, साहस, और कृपा को प्राप्त करने की प्रार्थना करता है। यह एक धार्मिक प्रथा है जो भक्तों को मां दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा में बढ़ावा देती है।
ध्यान देने योग्य है कि दुर्गा देवी के स्तुति का उद्देश्य उनकी प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है, जिससे भक्त अपने जीवन में सफलता और सुख की प्राप्ति कर सकें।

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