आरती क्या है और कैसे करें
आरती को आरती और अर्तिका और नीराजन भी कहते हैं पूजा के अंत में आरती की जाती है पूजा में जो त्रुटी रह जाती है उसे आरती से उसकी पूर्ति होती है स्कंद पुराण में बताया गया है ।।
मंत्र हीनं क्रियाहीनं यत पूजनं हरे।।
सर्व सम्पूर्णतामेति कृते नीराजने शिवे।।
आरती श्री गणेश जी की
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।…
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
लड्डुन के भोग लगे संत करें सेवा ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।।….
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।
मस्तक सिंदूर सोहे चूहे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ….
अंधन को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा…..
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
सूर श्याम शरण आये सफल कीजै सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा……
दिन की लाज रखो संभ सुतवारी।
कामना को पूर्ण करो जग बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा…..
आचार्य मोहित तिवारी
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