ॐ जय जगदीश हरे
ओ३म् जय जगदीश हरे, प्रभु जय जगदीश हरे ।
भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करें ।ओ३म……
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ।ओ३म……
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा आस करूँ मैं जिसकी ॥ ओ३म….
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर यामी ।
पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ओ३म…..
तुम करूणा के सागर, तुम पालन कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ॥ ओ३म……
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पति ।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति ॥ ओ३म…..
दीनबंधु दुख हर्त्ता, तुम ठाकुर मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे ॥ओ३म…..
विष्य विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥
तन-मन धन जीवन, प्रभु सब कुछ है तेरा ।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ॥ ओ३म……
श्यामसुन्दर जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवांछित फल पावे ॥ ओ३म……