हे गिरधर तेरी आरती गाऊँ
।।श्री गिरधर जी की आरती।।
हे गिरधर तेरी आरती गाऊँ,
आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ,
बांके बिहरी तेरी आरती गाऊँ । हे गिरधर ।।
मोर मुकुट तेरे शीश पे सोहे,
प्यारी बंशी मुनि मन मोहे,
देख छवि बलिहारी मैं जाऊँ ॥ हे गिरधर ॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनियाँ तारी
उन चरणों में शीश नवाऊँ ॥ हे गिरधर ॥
नाथ अनाथ के, नाथ आप हो,
सुख-दुःख जीवन, साथ आप हो,
श्री चरणों में बलि-बलि जाऊँ । हे गिरधर ।।