नहीं तंत्र मंत्र जानू जप योग पाठ पूजा | Nahi Tantra Mantra Janu

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नहीं तंत्र मंत्र जानू जप योग पाठ पूजा 

नहीं तंत्र मंत्र जानू जप योग पाठ पूजा
नहीं तन्त्र मंत्र जानू जप योग पाठ पूजा ।

आवाहन ध्यान का भी नहीं ख्याल और दूजा ।।

उपचार और मुद्रा पूजा बिधान मेरा ।

बस जानता यही हूँ अनुसरण मातु तेरा ।।

श्री चरण पूजने में धन शाठ्यथा बनी हो ।

अल्पज्ञता से सेवा बिधि हीन जो वनी हो ।।

जग धारिणी शिवे मॉ सब माफ करना गलती ।

सुत जो कपूत होवे माता नहीं बदलती ।।

जग में सुयोग्य सुन्दर सत् पुत्र मातु तेरे ।

मुझसा कपूत पाँवर माँ उनमें ना ऐक तेरे ।।

समुचित न त्याग मेरा सब माफ करना गलती ।

सुत जो कपूत होवे माता नहीं बदलती ।।

जगदम्ब पॉव पूजा मैने करी न तेरी ।

धन हीन अर्चना त्रुटियॉ भई घनेरी ।।

फिर भी असीम अनुपम कर स्नेह माफ गलती ।

सुत जो कपूत होवे माता नहीं बदलती ।।

कुल देवता अर्चना का परित्याग कर दिया है ।

यह धाम साधनो का वय व्यर्थ खो दिया है ।।

अव भी कृपा करो ना तव शरण पाही पाही ।

जगदम्व छोड तेरा अवलम्व और नाही ।।

मॉ पँगू तव सहारे गिरिवर शिखर को धौवे ।

शिर छत्र धर के जग में निसंक रंक सोवे ।।

यह नाम जो अपराना बिधि बेद में बखाने ।

बस धन्य जन्म उनका जो सार तेरा जाने ।।

तन भस्म कण्ठ नीला गल मुण्ड माल धारी ।

है हार शेष जिनके सिर भूमि भार धारी ।

तुझसी पति व्रता से भूतेषु जो कहावे ।

पाणिग्रहण की महिमा संसार मे सुहावे ।।

धन मोक्ष की न इच्छा वॉच्छा न ज्ञान की है ।

शशि मुख सुलोचनी के सुख की न मान की है ।।

हिम शैल खण्ड पर जा जप साधना तुम्हारी ।

करता रहू भवानी जय जय शिवा तुम्हारी ।।

उपचार सैकडौ मॉ मैने किये नहीं है ।

रूखा है ध्यान तेरा धन पास मै नहीं है ।।

इस दीन हीन पॉवर पर फिर भी स्नेह है तेरा ।

श्यामे सुअम्व माता तू मानती है मेरा ।।

जव जव तनिक भी दर्गे जव आपदा सतावे ।

सुत वत्सले भवानी तव तव तुम्हे मनावे ।

सठ्ता ना मान लेना दासानुदास तेरा ।

प्यासे दुर्भिक्षितो को विश्वास एक तेरा ।।

करूणा मयी भुलाकर त्रुटि दुख टालती हो ।

घनघोर आपदाऐ झट तोड डालती हो ।।

आश्चर्य क्या करू मै तुमको कहा सुनानी ।

परिपूर्णतम हो जननी तेरी अकथ कहानी ।।

पापी न मुझसा कोई तुम पाप हारिणी हो ।

सव दुख नाशिनी हो सुख शान्ती कारिणी हो ।

तुम हो दया मयी मॉ समुचित विचार करना ।

देकर प्रसाद मुझको भव सिन्धु पार करना

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