ये दो दिन का मेला रहेगा कायम न जग का झमेला रहेगा लिरिक्स भजन

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ये दो दिन का मेला रहेगा कायम न जग का झमेला रहेगा

ये दो दिन का मेला रहेगा कायम न जग का झमेला रहेगा लिरिक्स भजन

साथ क्या जायेगा !

रे मन ! ये दो दिन का मेला रहेगा । कायम न जग का झमेला रहेगा ॥

किस काम का ऊँचा जो महल तू बनायेगा ।

किस काम का लाखों का जो तोड़ा कमायेगा ॥

रथ हाथियों का झुण्ड भी किस काम आयेगा ।

तू जैसा यहाँ आया था, वैसा ही जायेगा ।

तेरे सफर में सवारी की खातिर, कन्धों पर ठठरी का ठेला रहेगा ॥

रे मन..।।

कहता है ये दौलत कभी आयेगी मेरे काम ।

पर यह तो बता ! धन हुआ किसका भला गुलाम ।।

समझा गये उपदेश हरिश्चन्द्र, कृष्ण, राम ।

दौलत तो नहीं रहती है, रहता है सिर्फ नाम ॥

छूटेगी सम्पत्ति यहाँ की यहीं पर, तेरी कमर में न धेला रहेगा ॥ 

रे मन..।।

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